इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। तीन साल बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति का संयोग बन रहा है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में यह पर्व 15 जनवरी को पड़ा था। मकर संक्रांति का यह त्यौहार हर साल श्रद्धालुओं के लिए खास होता है, और इस बार भी कुछ अलग नहीं है।
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Makar Sankranti 2025: कब और कैसे मनाएं
Makar Sankranti 2025 का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, भगवान सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को दिन के 2:58 पर प्रवेश करेंगे और इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा। इस दिन का पूण्य काल दिन भर रहेगा और पूजा का समय सुबह 7:02 बजे के बाद शुरू होगा। स्नान-दान के लिए यह पर्व शुभ और फलदाई माना गया है।
पूण्य काल और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का महा पूण्य काल सुबह 9:03 पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति सुबह 10:04 पर होगी। इसके अलावा, पूण्य काल सुबह 9:03 से शाम 5:46 तक रहेगा। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:02 से 6:02 तक रहेगा। इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
गंगा स्नान का महत्व
Makar Sankranti 2025 पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। लोग इस दिन प्रयागराज के त्रिवेणी तट पर स्नान करने के लिए जाते हैं। कुंभ के चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस अवसर पर गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का अंत हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान सूर्य को भोग
Makar Sankranti 2025 के दिन भगवान सूर्य को भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन सूर्यनारायण को गुड़ से बनी मिठाई, खिचड़ी, और तिल के लड्डू का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव को भोग लगाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- गुड़ से बनी मिठाई: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य को गुड़ या उससे बनी मिठाई का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। इससे सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- खिचड़ी: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और सूर्यदेव को उसका भोग लगाने का विशेष महत्व है। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और घर में बरकत आती है।
- तिल के लड्डू: मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य को तिल के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में खुशहाली आती है और रिश्ते भी मधुर होते हैं। इस दिन तिल के लड्डू बनाने और खाने का भी विशेष महत्व है।
तिल संक्रांति
Makar Sankranti 2025 को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि तिल के बीज पर भगवान यम का आशीर्वाद होता है और उन्हें अमृत्व के बीज के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर शनि और राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मंदिरों में काले तिल चढ़ाए जाते हैं और गुड़ तथा सफेद तिल से बने तिल के लड्डू का सेवन भी किया जाता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति 2025 एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है जिसमें भगवान सूर्य की पूजा, स्नान, और दान का विशेष महत्व है। इस दिन को सही मुहूर्त में पूजा और गंगा स्नान करके मनाना चाहिए ताकि शुभ फल की प्राप्ति हो सके।
Makar Sankranti 2025 के इस पर्व पर सभी को शुभकामनाएँ। इस साल का मकर संक्रांति पर्व सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।
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FAQ’S
मकर संक्रांति 2025 कब मनाई जाएगी?
मकर संक्रांति 2025 का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
मकर संक्रांति का महा पूण्य काल सुबह 9:03 से सुबह 10:04 तक रहेगा।
गंगा स्नान का विशेष महत्व कब है?
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है, खासकर ब्रह्म मुहूर्त में।
भगवान सूर्य को कौन-कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं?
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य को गुड़ से बनी मिठाई, खिचड़ी, और तिल के लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है।
मकर संक्रांति को तिल संक्रांति क्यों कहा जाता है?
तिल के बीज पर भगवान यम का आशीर्वाद होता है और उन्हें अमृत्व के बीज के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसे तिल संक्रांति भी कहते हैं।